How Shodashi can Save You Time, Stress, and Money.

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

ह्रीं‍मन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं

The follow of Shodashi Sadhana is usually a journey towards the two satisfaction and moksha, reflecting the dual character of her blessings.

Goddess Shodashi is commonly connected with splendor, and chanting her mantra conjures up internal beauty and self-acceptance. This reward encourages people today to embrace their authentic selves and cultivate self-self-confidence, assisting them radiate positivity and grace within their day-to-day lives.

As 1 progresses, the 2nd phase will involve stabilizing this newfound recognition by disciplined techniques that harness the brain and senses, emphasizing the very important position of Vitality (Shakti) in this transformative course of action.

Shodashi Goddess is one of the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of knowledge. Her name ensures that she could be the goddess who is usually 16 a long time aged. Origin of Goddess Shodashi comes about following Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

The Tale can be a cautionary tale of the strength of wish plus the necessity to produce discrimination as a result of meditation and next the dharma, as we development within our spiritual route.

get more info देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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